सम्यक दर्शन के आठ अंग : 7. वात्सल्य
वात्सल्य
वात्सल्य का अर्थ है: तुम दो। वात्सल्य का अर्थ है: तुम दो जैसे मां देती है।
तो जैसे भक्ति के रास्ते पर प्रार्थना सूत्र है, ठीक उससे विपरीत, ध्यान के रास्ते पर वात्सल्य सूत्र है। अब तुम्हारे पास कुछ है, तुम उसे बांटते हो–और जब तुम बांटते हो, तब तुम पाते हो: और आने लगा! अनंत ऊर्जा उठने लगी! तुम्हारे सब जलस्रोत खुल जाते हैं। तुम्हारे झरने सब फूट पड़ते हैं। जितना तुम्हारे कुएं से पानी उलीचा जाता है, तुम पाते हो: उतना ही नया पानी आ रहा है। सागर तुममें अपने को उंडेलने लगता है।
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